जयपुर, राजस्थान 

 

शेखावत पैलेस 

 

जयपुर की royal family Shekhawat यहां रहते थे । इस आलीशान महल की खूबसूरती के चर्चे पूरे भारत में थे । इस की खूबसूरती से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत थी । महल में रहने वाली राज नृतकी विभा । जिसे महल में मनोरंजन करने के लिए कोलकाता से लाया गया था । जयपुर के राजा अपने छोटे बेटे प्रवर्धन के साथ कोलकाता घूमने आए हुए थे । 

 

नौजवान राजा सा एक गाड़ी में दीवान सा, अपने driver और 10 साल के बेटे के साथ कोलकाता की गलियों से गुजर रहे थे । प्रवर्धन खिड़की से बाहर उत्सुकता से देख रहा था । वो एक red light area से गुजर रहे थे । 

 

राजा सा ने जब ये notice किया तो driver और उस की बगल वाली सीट पर बैठे दीवान सा पर बिगड़ते हुए बोले, “दीवान सा ये आप हमे किस गली में ले आए ।”

 

“माफ कीजिए राजा सा । त्यौहार दिन है इस लिए सब रास्ते जाम थे बस यही खुला और सुरक्षित था इस लिए हम इस रास्ते से जा रहे हैं ।” दीवान सा ने जवाब दिया ही था कि इतने में उन का रास्ता भी भीड़ की वजह से जाम हो गया । 

 

“लीजिए यहां भी जाम लग गया ।” ,गाड़ी रोकते देख कर राजा सा मुंह बनाते हुए बोले । 

 

इतने में उन के कान में एक लड़की की आवाज सुनाई दी, “प्रेम के रंग में ऐसी डूबी

प्रेम के रंग में ऐसी डूबी

प्रेम के रंग में ऐसी डूबी

रंग दिया पिया एक ही रूप

प्रेम के रंग में ऐसी डूबी

रंग दिया पिया एक ही रूप

प्रेम की माला जपते जपते हो गयी सुबह से शाम

साँसों की माला पे, सिमरूं

 

राजा सा के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई । लेकिन भीड़ हटने की वजह से गाड़ी चल पड़ी जिसे देख कर प्रवर्धन ने कहा, “बाबा सा हमे वो गाना सुनना है । वो कितना मधुर है ।”

 

“बेटा हम यहां और नहीं रुक सकते ।” राजा सा ने कहा तो प्रवर्धन ने मना करते हुए कहा, “नहीं बाबा सा कृपया हमारी बात मान जाइए । हमारा जन्मदिन है आज ।” प्रवर्धन ये बोलते हुए बहुत ही मासूम लग रहा था । उस का चेहरा देख कर राजा सा उसे मना नहीं कर पाए । 

 

“गाड़ी रोकवाईए दीवान सा !” ,उस ने order देते हुए कहा । 

 

परख मुस्कुराते हुए बोला, “क्या हम अंदर जाकर उस की आवाज सुन सकते हैं बाबा सा ।”

 

“पर !!” राजा सा के बोलते ही प्रवर्धन ने request करते हुए कहा, “कृपया बाबा सा !”

 

“ठीक है चलो ।” , राजा सा मान गए और वह लोग उस कोठे के अंदर गए । वहाँ एक कमरे में 8 साल की लड़की गाना सिख रही थी । वहाँ एक औरत उस को कुछ और लड़कियों के साथ गाना सिखा रही थी । उस की उम्र उन सब से छोटी और आवाज सब से मधुर थी । 

 



राजा सा दीवान सा और प्रवर्द्धन के साथ उस कमरे मे गए तो सब लड़कियां line एक तरफ सिर झुका कर उन को नमन करने लगी । बस वो छोटी बच्ची औरत के पीछे छुप गई । 

 

उस औरत ने राजा साहब का अभिवादन किया, "प्रणाम राजा सा ।"

प्रवर्द्धन  बच्चों को देखने की कोशिश कर रहा था, जिसे देख कर वह औरत ने सिर झुकाते हुए कहा, "माफ़ करिए, कुंवर सा , इसे अजनबियों से डर लगता है । यह अनाथ है । नवजात थी जब कोई इसे हमारी चौखट पर छोड़ गया था । तब से यह यहाँ पर हमारे साथ है।"

“वह गाना यही बच्ची गा रही थी । क्या नाम है इस का ।” राजा जी ने सवाल किया, तो औरत ने सिर हिला कर कहा, "जी राजा सा !! इस का नाम विभा है ।"

"बहुत ही प्यारा नाम है । बाबा सा , हमें ये लड़की चाहिए । हम उसे अपने साथ ले जाना चाहते हैं ।" प्रवर्द्धन  ने राजा जी को देखते हुए कहा । इस पर राजा जी थोड़े असमंजस में पड़ गए । लेकिन फिर कुछ सोचते हुए उन्होंने प्रवर्द्धन  के कान में कहा, "बेटा, वह हमारे महल में  नहीं जा सकती । वह जिस माहौल में पली बड़ी है । वो हमारी प्रतिभा को चोटिल कर सकता है ।"


"वह अभी बहुत छोटी है । हमें उस का गाना बहुत अच्छा लगता है । माँ सा भी तो ऐसे ही गाती थीं । हमारी बात मान जाइए ना, बाबा सा । ऐसा समझ कर कि आप हमें हमारे जन्म दिन के उपहार के रूप में उसे दे रहे हैं ।" प्रवर्द्धन  ने सामने से अपने बाबा की बात काटते हुए कहा । मजबूर होकर राजा जी को उस की बात माननी पड़ी । उस ने औरत से कहा, "हम इस लड़की को अपने साथ ले जाना चाहते हैं ।"

सामने से औरत ने जवाब देते हुए कहा, "यहाँ पर रहने वाली हर लड़की की एक कीमत है । आप को वह कीमत चुकानी होगी । फिर आप इसे ले जा सकते हैं ।"  

इस पर उस के पीछे खड़ी विभा ने उस के कपड़े खींचते हुए अपनी तरफ किया । औरत उसे देखते हुए बोली, "क्या हुआ?"

विभा का चेहरा अभी भी प्रवर्द्धन  को नजर नहीं आया था ।

 "हमें नहीं जाना । हमे यहीं रहना है, भिशी माँ । आप ने बोला था कि हम हमेशा आप के साथ रहेंगे।” ,विभा ने मासूमियत से कहा । 

 औरत ने उस को देखते हुए  कहा, "यहाँ पर तुम्हारे साथ क्या होगा । तुम्हें नहीं पता । महल में तुम्हें छत और सन्मान मिलेगा बेटा । वहाँ तुम सुरक्षित रहोगी । हमारी बात मानो और राजा जी के साथ जाओ ।" 


ऐसा कह कर वह औरत सामने से हट गई । तब प्रवर्द्धन की नजरें खूबसूरत नन्ही सी जान विभा  पर पड़ीं । प्रवर्द्धन  ने एक नजर देखा और फिर देखते ही रह गया । उस की खूबसूरती और मासूमियत के सामने किसी भी पत्थर दिल का दिल पिघल सकता था ।

(प्रीतम का कुछ दोष नहीं है

प्रीतम का कुछ दोष नहीं है 

 प्रीतम का कुछ दोष नहीं है 

प्रीतम का कुछ दोष नहीं है वो तो है निर्दोष

 प्रीतम का कुछ दोष नहीं है वो तो है निर्दोष 

अपने आप से बातें कर के हो गयी मैं बदनाम

 साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम साँसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम

साँसों की माला पे, साँसों की माला पे)

 

विभा को देख कर राजा जी ने मुस्कुराते हुए कहा, "बहुत ही प्यारी है । इस की कीमत बताइए ।"