राजस्थान
इस वक्त संजय जयपुर के किले की छत पर खड़ा था। वह वहां अकेला था और उसकी नजर अभी भी अपने फोन पर थी, जिसमें उसकी बेटी की उसकी साथ की एक तस्वीर दिखाई दे रही थी। उसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई थी।
“अकेले अकेले क्यों मुस्कुरा रहे हो संजय ।” तभी, उसके पीछे से एक आदमी की आवाज आई। संजय उसकी आवाज सुनकर पलटा और अभिवादन करते हुए बोला, "खम्मा घणी राणा सा।"
उसके पीछे जयपुर के राणा यशवर्धन सिंह चौहान खड़े हुए थे। वह 50 साल के थे और शारीरिक रूप से बेहद तंदुरुस्त लग रहे थे। उनके चेहरे पर रौब साफ दिखाई दे रहा था। उन्होंने जोधपुरी सूट पहना हुआ था और सिर पर राजस्थानी साफा बांधा हुआ था, जिससे वह सच में एक राजा की तरह लग रहे थे।
यश ने संजय के हाथ में फोन देखकर सवाल किया, "अपनी बेटी से बात कर रहे थे?"
"जी राणा सा , वह निकलने वाली है। हमने उसे आपकी बताई सारी बातें समझा दी हैं। वह इसमें कोई भी गलती नहीं करेगी," संजय ने जवाब दिया, जिसके बाद यश ने मुस्कुराते हुए कहा, "बहुत नाम सुना है हमने उसका, ऊपर से तुम्हारी बेटी है, तो गलती की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। बस, हमारे नकरी वाले बेटे को उसके किसी भी काम में कमी न दिखाई दे।"
संजय ने विश्वास दिलाते हुए कहा, "कुंवर, प्रवर्द्धन को विभा निराश नहीं करेगी।"
"हमें भी उम्मीद है। वैसे तुमने पता किया कि प्रवर्द्धन मुंबई से कब वापस आ रहे हैं? उनकी शादी है और वह अभी तक मुंबई से निकल नहीं पाए हैं," यश ने पूछा।
इस पर संजय ने जवाब दिया, "उनकी आज एक अहम मीटिंग है, जो खत्म होने के बाद वह मुंबई से निकल जाएंगे।"
"उसे बोलो, जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी निकलें। कल गणेश पूजा है और उसके बाद वह और उसका बड़ा भाई महल से बाहर नहीं जा सकते," यश ने आदेश दिया।
संजय ने थोड़ा सिर झुकाकर कहा, "ठीक है राणा सा , हम अभी उनसे बात कर लेते हैं।"
संजय ने अपने फोन से किसी का नंबर मिलाया, लेकिन सामने से कोई फोन नहीं उठा रहा था। फोन रिंग होते रहे, और दो-तीन बार कोशिश करने के बाद संजय ने निराश होकर कहा, "राणा सा , वह फोन नहीं उठा रहे।"
"बहुत ही जिद्दी हैं, जरूर मीटिंग में होंगे," यश ने अंदाजा लगाया।
"तब से कहा तो," संजय ने सवाल किया, "आप उनसे इतना प्यार करते हैं, फिर भी वह आपसे नाराज क्यों रहते हैं? आप खुद उनसे खुलकर बात क्यों नहीं करते?"
"तुम्हें इसका जवाब अच्छे से पता है। कुछ अतीत के पन्ने हैं, जिन्हें हम प्रवर्द्धन के सामने खोलना नहीं चाहते। लेकिन वह है कि उन अतीत के पन्नों की वजह से हमसे दूरियां बन रही हैं," यश ने गंभीर स्वर में कहा।
यह सुनकर संजय ने मुस्कुराते हुए कहा, "कोई बात नहीं राणा सा , शादी हो जाने दीजिए। जयपुर की होने वाली छोटी कुँवरानी सा , आप दोनों की दूरियां कम हो जाएंगी।"
उसकी बात सुनकर यशवर्धन के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "इसलिए तो शादी करवा रहे हैं। तुम एक बार और उसे फोन करना, और अगर वह उठा ले, तो उसे कह देना कि वह जल्द से जल्द राजस्थान के लिए निकल जाए।"
संजय ने यशवर्धन की बात सुनी, और यशवर्धन वहां से चले गए। उनके जाने के बाद, संजय ने फिर से प्रवर्द्धन को कॉल किया, लेकिन सामने से कॉल रिसीव नहीं की गई। यह देख संजय खुद से बड़बड़ाते हुए बोला, "कुंवर सा सच में बहुत जिद्दी है, शादी होने वाली है और इन्हें बिजनेस की पड़ी है। पता नहीं कौन सी इंपॉर्टेंट मीटिंग है, ये न जाने क्या कर रहे होंगे मुंबई में।"
मुंबई
एक अंधेरे कमरे में एक आदमी की चीखने-चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं। कोई उसे मार रहा था।
"छोड़ दो मुझे, छोड़ दो मुझे! मैंने कुछ नहीं किया!" वह आदमी लगातार चीख रहा था, लेकिन उसे मारने वाला व्यक्ति जरा भी दया नहीं दिखा रहा था।
"कुँवर प्रवर्द्धन पर हमला करने वाला कौन था?" एक तीव्र आवाज कमरे में गूंजी, यह आवाज उस व्यक्ति की थी जो पिटने वाले आदमी से सवाल पूछ रहा था। जिसे उस ने दीवार से बांध रखा था ।
वह आदमी, जिसका चेहरा बुरी तरह से सूज चुका था, किसी तरह सिर उठाकर दर्द से कांपते हुए बोला, "मुझे... मुझे नहीं पता... मुझे कुछ नहीं पता।"
"तुम्हें कुछ नहीं पता?" सवाल करने वाली आवाज में गुस्सा था। "तुम जानते हो कि हम तुम्हारी मदद के बिना उसे नहीं छोड़ सकते। अगर तुम हमें कुछ नहीं बताओ, तो तुम्हारा जीना मुश्किल कर देंगे।"
वह आदमी सिर झुका कर धीमे से बोला, "मैं... मैं नहीं जानता। वह आदमी चेहरे पर मास्क लगाए हुए था, मैं बस उसकी आवाज पहचान सकता हूं... कुछ और नहीं।"
उसके बाद कमरे में खामोशी छा गई। सवाल करने वाला व्यक्ति गहरी सोच में डूब गया, और फिर उसने एक निर्णय लिया । "ठीक है, तुम जानबूझ कर नहीं बताओगे, तो इसका मतलब यह है कि तुम्हारा जीवन अब और लंबा नहीं रहेगा।"
वह आदमी अब पूरी तरह से डर चुका था। उसे एहसास हो चुका था कि वह जितनी कोशिश करेगा, उतनी ही मुश्किल में फंसने वाला है। उसने जल्दी से गिड़गिड़ाते हुए कहा, "मैं सच में कुछ नहीं जानता... लेकिन अगर तुम चाहो, तो मैं... मैं उस आदमी के बारे में कुछ और बता सकता हूं। वह कहीं बाहर से आया था, उसके साथ कुछ लोग भी थे, जो हर कदम पर उसके ऑर्डर्स मान रहे थे।"
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Nice chapter ❤️🧡🧡❤️
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